चरणनंदन का अभिनंदन - 1 Tripti Singh द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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चरणनंदन का अभिनंदन - 1

ये मेरी पहली कहानी है! मातृभारती पर! अगर कोई भी गलती हुई हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ !

गुटखा चबाते हुये बड़े ही स्टाईल से जब चरणनन्दन ने घर में प्रवेश लिया तभी अचानक से उसके सिर पर एक प्लास्टिक का सख्त मटमैला जूता आकर "ठक" की आवाज से लगा और "धडाक" की आवाज के साथ ही चरणनन्दन के चरणों के पास गिर गया।


इतना कांड होने के बाद चरणनन्दन कुछ सोच पाता तब तक घर के अंदर से फटे ढोल सी आवाज उसके कानो से टकराई जो कुछ इस प्रकार थी " का रे आ गए तुम, तुमको कोनों लाज श्रम हैं कि नै, या ऊको भी बेच के ई गुटखा चबा लिए ?

इतना कहा उस आवाज ने अपनी वाणी को विराम दिया !
लेकिन अपनी घूरती नजरों को लगातार चरणनंदन पर बनाए रखी.!

(ये चरणनंदन के चचा जिनकी फटे ढोल सी आवाज है ! कारण बीड़ी पीना सुट्टा मारना आदि)

तभी एक और सरसराहट से मिली जुली आवाज वहां गूंजी " का हुआ चचा अब हमने का कर दिया जऊन तुम येतना खिसियाये (इतना चिढ़े हुए) हुए जान पड़ रहे हो ? ये आवाज चरणनंदन की थी ! जिसे गुटखा थूकते ही बोलना शुरू किया था !


फिर क्या चचा ने भी बोलना शुरू कर दिया "का किए हो ई भी हम बताये ? अरे तोहका नाहीं पता कि की तुम का किए हो ?
अरे तुम हमरा नाम डुबो दिए हो , अउर का किए हो, काहे की तुम तीन साल से ईहे तो कर रहे हों ! तुम पिछला तीन साल से लगातार 12 वीं फेल होते आए हों अउर आजो भी तुम ईहे किए हो, फिर फेल होई गए ! तब्बो तुम मुह उठाई के गुटखा चबाते हुए बड़े ही शान से चले आई रहे हो !

इतना सुनने के बाद चरणनंदन ने खुद से ही कहा "का बे नंदनवा ई सब चचा को केईसे पता चल गवा ! कुछो तो करना पडीगा नाहीं तो चचा फोम (फॉम) आई जाएंगे !


इधर चरणनंदन खुद मे ही बड़बड़ाने मे लगा था ! उधर चचा का पारा हाई होने लगा था ! चरणनंदन को कोई जबाव न देता देख !


इसी हाई पारे के साथ चचा ने अपना दूसरा जुता भी खींच कर चरणनंदन की तरफ मारा !

इधर चरणनंदन जो खुद मे ही बड़बड़ाने जा रहा था ! उसे जब चचा का जुता पहले की तरह ही फिर से लगा तो वो वास्तविकता मे आया !

फिर उसने चचा की तरफ देखा तो चचा तो पहले से भी ज्यादा खिसियाये हुए थे ! फिर उसने न आव देखा न ताव वहां से रफ्तार में भागना शुरू कर दिया ! अभी वो कुछ कदम भागा ही होगा ! तभी चचा ने अपनी पूरी ताकत से चरणनंदन को पीछे से उसकी कॉलर को पकड जमीन पर गिरा दिया ! और जा कर जल्दी से अपना जूता उठा लाए!


और फिर चचा ने..........................


अगर मैंने कहीं भी कोई भी गलती की हो तो मुझे अवश्य अवगत कराये ! मैं उसे सुधारने की जरूर कोशिश करूंगी !

और किसी की भावनाओं को आहत किया है , तो माफी चाहूंगी !

जारी है...............

...........Tripti singh